जब पूजा राम और कृष्णा की होती है तो भगत और सुभाष की क्यो नही ?
आज ये प्रश्न हमारे मश्तिश्क मे क्यो नही उठता की जब हम अपने घरो मे राम और कृष्ण की तस्वीर को लगा के उनकी पूजा कर सकते है तो भगत और सुभाष की क्यो नही करते? हम सुभाष और भगत को स्वतंत्रता दिवस या उनकी पुण्यतिथि पर ही याद करते है ऐसा क्यो है? क्या हमारे पास उनके लिए समय नही है ? क्या उन्होने राक्षसो का वध नही किया था? क्या उन्होने इंसानियत की एक मिशल नही पेश की थी? क्या उन्होने हमे एक सुरशित समाज नही दिया ? अगर आज हम अपने नियम क़ानून बनाते है तो ये किसकी देंन है? क्या उन्होने कभी धर्म के बारे मे सोचा था की हम हिंदू , मुसलमान ,सिख ,या ईसाई है?
आज हम अपने धर्म के भगवान के लिए लिए लड़ते है की मंदिर बनेगा या मस्जिद बनेगा लेकिन हम उस भगवान के लिए क्यो नही लड़ते है जिन्होने इंसानियत धर्म को पैदा किया , जिन्होने इंसानियत धर्म के लिए अपना सब कुछ हवन कर दिया , जिन्होने एक धर्म चलाया जिसमे हर धर्म के लोग खुशी से रहते थे और एक ही धर्म के लिए अपना सब कुछ हवन कर के आने वाले कल के लिए एक नयी मिशाल बने क्यो नही हम एक ऐसे घर का निर्माण करते है जिसमे हर मज़हब के लोग आकर एक ही धर्म को माने और वो हो एक ही भगवान की पूजा करे..
अगर राम ने एक रावन को मारा कृष्णा ने एक कन्श को मारा तो भगत और सुभाष ने कितने रावन और कन्स मारे, क्यों नही हम राम और कृष्ण की तरह सुभाष,भगत और अब्दुल हमीद की पूजा करते, क्या इसीलिए की उन्होने कोई नया धर्म नही बनाया और किसी नये धर्म के प्रवर्तक नही हुए...