आज के नेताओ के दीपावली मानने का अंदाज कुछ इस प्रकार हो गया है...
पहले भारत के पास बॉंम् नही था...
इसलिए लोग पटाखे खरीदते थे...
आज भारत खुद बॉंम् है...
तो पटाखे की क्या ज़रूरत है...
इसी बोम्म से खेलो
हम जैसे नेताओ की तरह...
लेकिन भारतीय संस्कृत के सम्मान के लिए
पहले आप पहले आप के अनुसार
हम लोग खेल नही पाएँगे
और हमारे नेता हर
बार ऐसी दीपावली मानते रहेंगे...
और हम हर बार भारतीय संस्कृत का सम्मान करते रहेंगे...
sahi hai
ReplyDeletebt yr who is politician, we all select the person.
ReplyDeletetu bhool gaya
ReplyDeletetu bhi politics me hi ja raha hai
kuch time bad tu bhi un jaisa hi ho jaega
Well said Vivek ji ...
ReplyDeleteis poem se aapke vicharo ki gahrai samajh me aati hai ...congr8ts meri or se !