कलम ने लिखना चाहा तो मुझसे चुपके से बोली की मैं क्या लिखू
मैने कहा तू चाहती है क्या लिखना कलम ने मुस्कुरा कर कहा
मैने आज तक जो चाहा है उसे लिखने वाले ने लिखने कहा दिया है...
सब ने अपनी तन्हाई और अपने गम लिखे है
किसी ने मुझे अपने गम लिखने कहा दिए है...
मैने अपने को स्याही मे डूबा के किसी के गम को
जैसा लिखा है क्या मेरे भी गम और तन्हाई को
लिखने वाले तू अपने को स्याही मे डुबो के लिख सकता है
लेकिन कलम को कोई उत्तर नही मिला
और आज भी कलाम यही सवाल करती है
और फिर दूसरे के गम और तन्हाई को लिखना शुरू कर देती है...
बहुत अच्छा मित्र उत्तम विचार ....
ReplyDeleteapp great ho bhai
ReplyDeleteVery Nice blog
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