Monday, November 1, 2010

नेताओ की दीपावली...

आज के नेताओ के दीपावली मानने का अंदाज कुछ इस प्रकार हो गया है...
पहले भारत के पास बॉंम् नही था...
इसलिए लोग पटाखे खरीदते थे...
आज भारत खुद बॉंम् है...
तो पटाखे की क्या ज़रूरत है...
इसी बोम्म से खेलो
हम जैसे नेताओ की तरह...
लेकिन भारतीय संस्कृत के सम्मान के लिए
पहले आप पहले आप के अनुसार
हम लोग खेल नही पाएँगे
और हमारे नेता हर
बार ऐसी दीपावली मानते रहेंगे...
और हम हर बार भारतीय संस्कृत का सम्मान करते रहेंगे...

4 comments:

  1. bt yr who is politician, we all select the person.

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  2. tu bhool gaya
    tu bhi politics me hi ja raha hai
    kuch time bad tu bhi un jaisa hi ho jaega

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  3. Well said Vivek ji ...
    is poem se aapke vicharo ki gahrai samajh me aati hai ...congr8ts meri or se !

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