Sunday, October 31, 2010

दीपावली...

दीप जलाना ऐसे की किसी के अरमान ना जलने पाएँ...
इस फैले हुए अंधेरे मे खुद को जला कर किसी के अरमान को प्रकाश देना..
जिससे आने वाला भारत अंधेरे मे ना पैदा हो...
खुद को इतना जलाना की रोशनी उन घरो मे भी हो...
जिन घरों की दीवारें ही अंधेरो से बनी हुई लगती है...
दीपक की रोशनी इतनी हो की सूरज समझकर, उठ जाए सोए हुए..

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